शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

vo to sapnon ke saath rahta hai

वो तो अपनों के साथ रहता है/
यानी सपनों के साथ रहता है/

कोई सपना उसे मिला होगा 
जिसने कानों में कुछ कहा होगा 
उसके होठों को फिर छुआ होगा 
वो भी सपने के संग बहा होगा 

वो फसानों के साथ रहता है /

लाख़ सपने उसे बुलाते हैं 
गोद में रात दिन सुलाते हैं 
और जिसमे वो झूलना चाहे 
बस उसी  में उसे झुलाते हैं 

वो ख़ज़ानों के साथ रहता है /

फूल समझेंगे उसकी ख़ामोशी 
ख़ामुशी में है उसकी बाहोशी
जा के ठहरेगा किस ख़ज़ाने में 
उसका इक लफ़्ज़ है जो मयनोशी  

आसमानों के साथ रहता है /
वक़्त गर मिल सका तो पूछेंगे 
कौन कितनों के साथ रहता है?
०००

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