shatdal ke sath
सोमवार, 14 फ़रवरी 2011
Ek Geet
एक सपना उगा जो नयन में कभी
आंसुओं से धुला और बादल हुआ
धुप में छांह जैसा अचानक मिला
था अकेला मगर बन गया क़ाफ़िला
चाहते हैं कि हम भूल जाएँ मगर
स्वप्न से है जुड़ा स्वप्न का सिलसिला
एक पल दीप कि भूमिका में जिया
अंज लो आँख में नेह काजल हुआ
०००
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