खोलता हूँ डायरी और खो जाता हूँ
.......खो जाता हूँ -
जहाँ होता है मेरा वनपाखी
कहता हूँ उससे -
आनंद के असीम आकाश में ले जाने वाले
डायरी से उड़ कर
मत जाना /
जानता हूँ
डायरी के किसी न किसी पृष्ठ पर ही रहोगे तुम/
तुम यहाँ आए हो /
कब आये थे ?
...खैर , डायरी के वे पृष्ठ जिन पर तुम रहे
नीले हो गए /
और मुग्ध हूँ डायरी पर मैं
पन्ने जब पहली बार नीले दिखे
मैंने तुम्हें पंख समेटे
डायरी में बैठे पाया था /
तुम यहाँ आकर अपने स्वभाव से कट गए थे
तुम्हारे कंठ का गान चुप था
मैं तुम्हारे कंठ का खोया गीत पाने के लिए बेचैन रहा
खोज रही हैं मेरी आँखें और मेरा स्वर वही गीत
जो तुम गाया करते थे /
वनपाखी सुनो -
तुम डायरी में बैठ कर
जिस संगीत के मीड का आस्वादन करते हो
उसका सम्मोहन हमारे होने का अर्थ होता है /
तुम जिस तृप्ति से साक्षत्कार करते हो
उसे कोई संज्ञा दी जा सकती है क्या ?
नहीं /
डायरी को अपना पर्याय मान कर उड़ो
अभी दिन है न !
और देखो - जब डायरी के पन्ने
सफ़ेद पड़ने लगें तो
शाम घिरते घिरते लौट आना
डायरी के किसी न किसी पन्ने पर बसेरा लेने !
000
.......खो जाता हूँ -
जहाँ होता है मेरा वनपाखी
कहता हूँ उससे -
आनंद के असीम आकाश में ले जाने वाले
डायरी से उड़ कर
मत जाना /
जानता हूँ
डायरी के किसी न किसी पृष्ठ पर ही रहोगे तुम/
तुम यहाँ आए हो /
कब आये थे ?
...खैर , डायरी के वे पृष्ठ जिन पर तुम रहे
नीले हो गए /
और मुग्ध हूँ डायरी पर मैं
पन्ने जब पहली बार नीले दिखे
मैंने तुम्हें पंख समेटे
डायरी में बैठे पाया था /
तुम यहाँ आकर अपने स्वभाव से कट गए थे
तुम्हारे कंठ का गान चुप था
मैं तुम्हारे कंठ का खोया गीत पाने के लिए बेचैन रहा
खोज रही हैं मेरी आँखें और मेरा स्वर वही गीत
जो तुम गाया करते थे /
वनपाखी सुनो -
तुम डायरी में बैठ कर
जिस संगीत के मीड का आस्वादन करते हो
उसका सम्मोहन हमारे होने का अर्थ होता है /
तुम जिस तृप्ति से साक्षत्कार करते हो
उसे कोई संज्ञा दी जा सकती है क्या ?
नहीं /
डायरी को अपना पर्याय मान कर उड़ो
अभी दिन है न !
और देखो - जब डायरी के पन्ने
सफ़ेद पड़ने लगें तो
शाम घिरते घिरते लौट आना
डायरी के किसी न किसी पन्ने पर बसेरा लेने !
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